Vol. 2, Issue 4 (2016)
दलित अस्मिता : पृष्ठभूमि और विकास
Author(s): राजेश कुमार
Abstract: 'साहित्य समाज का दर्पण है' का प्रचार-प्रसार तो खूब हुआ,लेकिन भारतीय साहित्य के संदर्भ में इस सिद्धांत की व्यावहारिक परिणति नहीं हुई। दलित समुदाय जितना समाज में उपेक्षित रहा,उतना ही साहित्य में भी। समाज में अपने अस्तित्व और साहित्य में अपनी अस्मिता के लिए संघर्ष दलितों द्वारा लगातार किया जाता रहा, जिसे पहचानने में भारतीयों को बहुत समय लगा। उससे भी ज्यादा समय लगा दलितों की पहचान को स्वीकार करने में।दलित साहित्य इसी पहचान के लिए संघर्ष का दस्तावेज है। यह दलित जीवन की अनुभूतियों की प्रामाणिक अभिव्यक्ति का दस्तावेज है। इस शोध-पत्र में दलित आन्दोलन की पृष्ठभूमि से लेकर बाबा साहब डॉ0 भीम राव अम्बेडकर के संघर्ष से होते हुए समकालीन हिन्दी साहित्य में इसकी व्यापक और गहन अभिव्यक्ति तक की संक्षिप्त पड़ताल की गई है।