Vol. 2, Issue 5 (2016)
पण्डित सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ के काव्य में बिम्बः उपलब्धि एवं सीमायें
Author(s): डाॅ0 रेनू पाण्डेय
Abstract: कवि निराला हिन्दी के प्रमुख छायावादी कवियों में से एक हैं। छायावाद के विकास में इनका अतुलनीय योगदान है। निराला का व्यक्तित्व अप्रतिम था तथा उनके बिम्ब भी उनकी तरह अद्भुत हैं। आधुनिक बिम्ब पाश्चात्य साहित्य की देन है। निराला के काव्य में एक से बढ़कर एक मनोहारी बिम्ब दिखाई देते हैं। इनके काव्य में सर्वत्र सूक्ष्म एवं स्थूल बिम्ब भेदोंपभेदों सहित उपलब्ध है। निराला काव्य मंे ऐंन्द्रिक बिम्ब, प्रकृति बिम्ब, रूप बिम्ब, स्मृति बिम्ब, भाव बिम्ब, धार्मिक, सांस्कृतिक, ऐतिहासिक एवं मनोवैज्ञानिक बिम्बों का अद्भुत चित्रण दर्शनीय है। कवि के बिम्बों की कोई सीमा निर्धारित नहीं की जा सकती है। निराला का वैभव से युक्त बिम्ब-विधान उनके साहित्य की महान उपलब्धि है।