Vol. 2, Issue 6 (2016)
'पठार पर कोहरा' का कथा-विन्यास
Author(s): डॉ0 उत्तम पटेल
Abstract: ‘पठार पर कोहरा’ राकेश कुमार सिंह का झारखण्ड के मुंडा आदिवासियों के शोषण व जनचेतना पर आधारित एक उपन्यास है। उपन्यासकार ने “शुरू करने से पहले” (प्रस्तावना) में इस उपन्यास के बारे में उचित ही लिखा है कि "भारतीय बुद्धिजीवी समाज के जिन लेखकों ने आदिवासी जनजीवन पर लिखा है उनमें से अधिकांश ने हर एक गैर-आदिवासी को खलनायक के रूप में ही चित्रित करने की रूढ़ि का अनुगमन किया है। इस रूढ़िवादी लेखन ने आदिवासी क्षेत्रों के बाहर हर गैर-आदिवासी को “दीकू” (डाकूध्दिक्कत करने वाला बाहरी घुसपैठिया) के रूप में स्थापित कर एकरस, एकतरफा और एकांगी सोच को विकसित किया है जबकि नये परिप्रेक्ष्य में इस सम्बन्ध को पुनः परिभाषित करने तथा आदिवासी-गैर-आदिवासी के बीच की आदिम खाई को पाटने की फौरी आवश्यकता है। प्रस्तुत उपन्यास के माध्यम से मैंने एक प्रयास किया है।"