Vol. 2, Issue 6 (2016)
कामायनी में मानवतावाद
Author(s): बबिता
Abstract: मनुष्य, प्रकृति और उदात्त मानवीय मूल्य के संतुलित संयोग से मानवतावाद का निर्माण होता है जो विश्व-सभ्यता और संस्कृति के सतत विकास का मूल आधार है। यही कारण है कि संस्कृति के अनिवार्य अंग साहित्य में भी मानवतावाद का सबसे महत्वपूर्ण स्थान है। छायावाद के चार स्तम्भों में से एक जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित महाकाव्य ‘कामायनी’ आधुनिक हिन्दी साहित्य के सबसे महत्वपूर्ण ग्रन्थों में से है। कामायनी के मनु समस्त मानवीय विकारों एवं दुर्बलताओं के यथार्थ और कुछ सीमा तक खल चरित्र हैं, जबकि श्रद्धा कामायनी का सबसे उदात्त और मानवतावादी चरित्र है जिसके माध्यम से जयशंकर प्रसाद मानवतावाद के महत्व का प्रतिपादन करते हैं।