Vol. 6, Issue 1 (2020)
किसान आन्दोलनों में स्त्रियों की भूमिका से प्रेरित उपन्यास ‘तितली’
Author(s): रवीन्द्र सिंह
Abstract: स्वतंत्रतापूर्व भारत की लगभग तीन चैथाई आबादी कृषि कार्य में संलग्न थी और आज लगभग 53 प्रतिशत संलग्न है। आज देश की सकल घरेलू उत्पाद में कृषि क्षेत्र का लगभग 17 प्रतिशत योगदान है। कृषि प्रधान देश होने के कारण भारत की अर्थव्यवस्था को ऊँचे स्तर पर ले जाने का कार्य किसान निरन्तर करता आ रहा है। फिर भी, ब्रिटिश शासनकाल से ही उसकी आर्थिक स्थिति दयनीय बनी हुई है। 1920 के दशक में जब ट्रेड यूनियन और किसान आंदोलन खड़े हुए, तो अक्सर स्त्रियाँ उनकी पहली पंक्तियों में दिखाई दीं। इसीलिए, उपन्यासकार ने ‘तितली’ उपन्यास में किसानों की समस्याओं का समाधान तितली की प्रेरणा और शैला की तत्परता के माध्यम से उद्घाटित किया है। रचनाकार भ्रष्ट व अत्याचारी सामन्तवादी एवं साम्राज्यवादी व्यवस्था के विरुद्ध किसानों को जागरूक, सुशिक्षित और संगठित करके जुल्म के विरोध में प्रतिकार करने की शक्ति प्रदान करता है। और, यह शक्ति मुख्यतः तितली को प्रदान करता है। वर्तमान समय में, किसानों की समस्याओं को देखते हुए यह उपन्यास अपनी प्रासंगिकता को बनाए हुए है। ‘तितली’ उपन्यास समकालीन किसान समाज को नवचेतना प्रदान करते हुए आधुनिक दिशा की ओर ले जाता है।