International Journal of Hindi Research

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International Journal of Hindi Research
Vol. 3, Issue 3 (2017)

पारिवारिक विघटन के बीच जूझती नारी अस्मिता


कीर्ति भारद्वाज

सभ्यता के विस्तार तथा सामाजिक संरचना के अधिकाधिक जटिल हो जाने के कारण भारतीय नारियों की आकांक्षा में भी परिवर्तन आया है तथा सभ्यता के विस्तार तथा सामाजिक संरचना के अधिकाधिक जटिल हो जाने के कारण भारतीय नारियों की आकांक्षा भी अब जटिल एवं उलझी हुई हो गई हैं। दाम्पत्य जीवन में नारी कुछ भी करने को तैयार हो जाती है क्योंकि वह नहीं चाहती कि उसके पति के साथ संबंध टूट जाए। इसलिए वह अपने पति द्वारा दिए गए अपमान को भी चुपचाप सहन कर लेती है क्योंकि वह अपने दाम्पत्य जीवन में तालमेल बैठाना चाहती है।
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कीर्ति भारद्वाज. पारिवारिक विघटन के बीच जूझती नारी अस्मिता. International Journal of Hindi Research, Volume 3, Issue 3, 2017, Pages 33-35
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