हिमाचल प्रदेश में प्राचीन समय से ही कला का विशेष महत्व रहा है। वह चाहे पहाड़ी लघु कला शैली का क्षेत्र हो या आज के युग की आधुनिक कला का। दोनों ही शैलियों को राष्ट्र व अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर विेशेष पहचान मिली है। हिमाचल प्रदेश में पचास-साठ के दशक से ही आधुनिक कला का विकास होना आरम्भ हुआ और निरन्तर आज भी विकास के पथ पर अग्रसर है। आधुनिक कला के इस पथ प्रदर्शन में कलाकारों व कला महाविद्यालयों का विषेश योगदान रहा है। साठ के दशक में बी. बी. सिंह भदरी जी के प्रयासों से हिमाचल प्रदेश में एक कला महाविद्यालय का उद्भव हुआ। यह उतर भारत में प्रथम ऐसा कला माहाविद्यालय था जहां पर चित्रकला, मूर्तिकला, संगीत, नृत्य की सभी कक्षाएं एक साथ होती थी। इस महाविद्यालय में भारत के कोने-कोने से आए सभी कलाकार शिक्षक उच्च कोटी के थे जिन्होंने प्रदेश में आधुनिक कला के इतिहास को रचा। राजकीय कला महाविद्यालय नाहन का समयकाल लगभग दस वर्ष का रहा और इस कार्यकाल के दौरान प्रदेश में कला के क्षेत्र में उच्च स्तर पर कार्य हुआ। महाविद्यालय में चित्रकला, मूर्तिकला, संगीतकला व नृत्यकला की वार्षिक प्रदर्शनी व कार्यशालाओं का आयोजन किया जाता था। इन आयोजनों का मुख्य उदेश्य प्रदेश में कला को बढ़ावा देना तथा लोगों में कला के प्रति रूचि उजागर करना होता था। यह महाविद्यालय बहुत जोश और उत्साह के साथ कार्य कर रहा था लेकिन धीरे-धीरे इस मविद्यालय पर काले बादल मंडराने लगे और अन्ततः राजनीतिक व भौगोलिक परिस्थितयों के कारण इसे शिमला स्थानान्तरित किया गया। शिमला में इस माहाविद्यालय को न तो सुव्यवस्थित भवन मिल सका और न ही अन्य जरूरतें पूरी हुई। परिणाम यह हुआ कि यह महाविद्यालय बिखरता चला गया। हिमाचल प्रदेश में साठ के दशक की कला यात्रा में राजकीय कला महाविद्यालय नाहन का महत्वपूर्ण योगदान रहा है और आज भी इस महाविद्यालय से पढ़े कलाकार राष्ट्र व अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रदेश का नाम रोशन कर रहे हैंै।