संविधान के अनुच्छेद 343 के अनुसार भारत संघ की राजभाषा हिंदी और लिपि देवनागरी है। देश के संविधान निर्माताओं ने 14 सितम्बर 1949 को इसे राजभाषा का दर्जा दिया। संघ की राजभाषा के रूप में लगभग पिछले 72 सालों से हिंदी का प्रयोग होता आ रहा है। हाल के दिनों में देखा गया है कि राष्ट्रभाषा, राजभाषा और संपर्क भाषा के संबंध में कई तरह प्रश्न किए जा रहे हैं। संसद के पटल पर भी माननीय सांसदों द्वारा ऐसे प्रश्न रखे जा रहे हैं जिसमें राष्ट्रभाषा बनाम राजभाषा और हिंदी बनाम क्षेत्रीय भाषा की स्थिति उत्पन्न हो रही है। इस आलेख का मुख्य उद्देश्य राजभाषा के संबंध में सांविधानिक स्थिति स्पष्ट करते हुए राजभाषा नीति के तहत लोकहित की भावना को उजागर करना है।